
Banjara Jati : Samaj Aur Sanskriti
- Release:2020
- Views:43 times
- Price:₹452
- Pages:244
- Lable:Dr Yashvant Jadhav, Hindi
Banjara Jati : Samaj Aur Sanskriti Book Review
पुस्तक समीक्षा: बंजारा जाति, समाज और संस्कृति — यशवंत जाधव
पुस्तक का परिचय
- शीर्षक: बंजारा जाति समाज और संस्कृति
- लेखक: डॉ. यशवंत जाधव, खुद इसी समुदाय से होने के कारण उन्होंने इस अध्ययन को विशेष प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया है।
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन, दूसरा संस्करण, वर्ष 2020।
- पृष्ठ संख्या: 244 पृष्ठ।
क्या खास है इस अध्ययन में?
यह पुस्तक बनजारा जनजाति—जिसे लोक में बनजारा कहा जाता है—की संस्कृति, इतिहास, धार्मिक विश्वासों, तीज-त्योहार, लोक-गीतों एवं साहित्य पर आधारित एक समग्र और यथार्थपरक अध्ययन प्रस्तुत करती है।
लेखक के स्वयं इस जनजाति से होने के कारण, वे सीधे “प्रथम स्रोत” से जानकारी एकत्रित करते हैं, जिससे पुस्तक की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता और भी बढ़ जाती है।
समीक्षा के मुख्य बिंदु
- सक्षमताः
- बनजारा समाज की संस्कृति और जीवन शैली का विवरण आत्मीयता के साथ सामने आता है।
- तीज-त्योहार, संस्कार, लोकगीतों और रीति-रिवाजों पर दिए गए दृष्टांत पुस्तक को पठनीय बनाते हैं।
- भाषा और शैली सरल है, लेकिन साथ ही गहराई से परिपूर्ण भी है।
- प्रामाणिकता:
- समुदाय के सदस्य होने के नाते लेखक का दृष्टिकोण वास्तविक अनुभवों से संवर्द्धित है; इससे रिपोर्टिंग, कथ्य और संदर्भ खुलकर सामने आते हैं।
- शोध-प्रेरित सामग्री:
- पुस्तक में लोक-साहित्य के संदर्भ, गीतों के उदाहरण और सांस्कृतिक विमर्श शामिल हैं, जो इसे सिर्फ एक दस्तावेज़ से अधिक समझ देते हैं।
- संभावित सीमाएँ:
- शोध-केंद्रित दृष्टिकोण के कारण यह पुस्तक सामान्य पाठक की अपेक्षा अधिक गहरा हो सकता है।
- समीक्षा इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं होने के कारण हमें पाठकों की प्रतिक्रियाएँ (रीव्यूज़) प्राप्त नहीं हैं।
सार (Summary)
बंजारा जाति, समाज और संस्कृति एक गहन और प्रमाणिक दस्तावेज़ है, जो बंजारा जनजाति की समृद्ध संस्कृति, लोक-रीति रिवाज, और सांस्कृतिक जीवन पर आधारित है। यदि आप ग्रामीण/समुदाय-आधारित अध्ययन, लोक-साहित्य, या सामाजिक-सांस्कृतिक शोध के विषय में रुचि रखते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक होगी।