
Banjara Samaj (बनजारा समाज)
- Release:15 September 2019
- Views:31 times
- Price:₹354.
- Pages:377
- Lable:Dr Shri Ram Sharma, Hindi
Banjara Samaj (बनजारा समाज) Book Review
पुस्तक समीक्षा: Banjara Samaj: बनजारा समाज (SFCT Book 1)
लेखक: डॉ. श्रीराम शर्मा (Osmania University के हिंदी प्रोफेसर)
प्रकाशन (Hindi eBook Kindle संस्करण): Sharma Family Charitable Trust, पहला संस्करण September 15, 2019 (377 पृष्ठ)
रेटिंग: Amazon Kindle पर 1 रिव्यू से 3.0/5 स्टार
पुस्तक सारांश और सामग्री
यह पुस्तक एक व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक शोध (socio-economic research) है, जिसमें भारत में बसे ग्रामीण एवं खानाबदोश बंजारा जनजाति की 200 से ज़्यादा बसेरा/तांडों (habitants) का अध्ययन शामिल है। पुस्तक में बंजारा जनजाति की परंपराएँ, संस्कृति, आर्थिक सरंचना, सामाजिक विशेषताएँ और उनका ऐतिहासिक योगदान—भारत में व्यापार में उनकी भूमिका, विशेषकर अंग्रेजों के आगमन और रेलवे शुरू होने तक—पर प्रकाश डाला गया है।
लेखक परिचय — एक प्रेरणादायक विद्वान
डॉ. श्रीराम शर्मा उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद में हिंदी प्रोफेसर थे, जिन्होंने भाषा-विज्ञान, दक्किनी हिंदी, साहित्य, इतिहास, और विशेष रूप से बंजारा समाज पर गहन शोध किया। उन्होंने लगभग 30 पुस्तकें और 500 लेख प्रकाशित किए, और कई शोधार्थियों के मार्गदर्शक रहे।
उनके मुख्य अद्वितीय प्रयासों में से एक यह है कि उन्होंने पूरे भारत में फैले 200 से अधिक बंजारा बसेरों को घूमकर स्थलीय अनुसंधान से विस्तृत और प्रमाणिक जानकारी जुटाई। मूल रूप से यह पुस्तक 1982 में प्रकाशित हुई थी; अब Kindle ई-बुक के रूप में उपलब्ध है—and इसमें जनजाति के वास्तविक जीवन, परंपराएँ, संस्कृति, और योगदान का विस्तृत वर्णन है
पुस्तक की ताकत:
- गहन शोध पर आधारित सामग्री — 200+ बसेरों का अध्ययन उल्लेखनीय है।
- रंगीन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विवरण — व्यापार, संस्कृति, समाज, जीवनशैली को समझने में सहजता।
- प्रमाणिक तथा विद्वतापूर्ण शैली — विद्वान लेखक द्वारा लिखित, विश्वसनीयता उच्च।
ध्यान देने योग्य कुछ सीमाएं:
- ऑनलाइन रिव्यूज़ की कमी — केवल 1 रेटिंग मिली है, जिससे व्यापक पब्लिक फीडबैक नहीं मालूम।
- शोध-केंद्रित भाषा — कुछ पाठकों के लिए यह शैक्षिक समीक्षा थोड़ा भारी या तकनीकी लग सकता है।
किसके लिए उपयुक्त:
- शोधकर्ता, इतिहास प्रेमी, समाजशास्त्री, और बंजारा संस्कृति में रुचि रखने वाले पाठक जिनके लिए यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण संदर्भ हो सकती है।
- शैक्षिक संस्थान या विश्वविद्यालय जहाँ भारतीय जनजातीय समाजों पर ध्यान केंद्रित हो।
- आधिकारिक अध्ययन या रिपोर्ट्स के लेखक इस शोध-आधारित पुस्तक को एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
Banjara Samaj: बनजारा समाज (SFCT Book 1) एक प्रमाणिक, व्यापक और विद्वतापूर्ण पुस्तक है — जो कि 200+ बंजारा बसेरों का दस्तावेजीकरण और उनकी सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। एक उच्च औपचारिक शोध-ग्रंथ के रूप में, यह बंजारा जनजाति की ज़मीन-स्तरीय समझ प्रदान करती है।
यदि आप चुनिंदा शॉर्ट रीडिंग, लोक-कहानियाँ, या लोक कला व साहित्य जैसी सामग्री ढूंढ रहे हैं, तो आप अन्य किताबों या संसाधनों का ज़िक्र कर सकते हैं—लेकिन यदि आपका ध्यान गंभीर शोध और समाजशास्त्रीय अध्ययन पर है, तो यह आपकी लाइब्रेरी का महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।