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Literature

Cultural Study of Banjara Folk Songs

Cultural Study of Banjara Folk Songs Book Review

Cultural Study of Banjara Folk Songs – बंजारा लोकगीतों का सांस्कृतिक अध्ययन | पुस्तक समीक्षा

“Cultural Study of Banjara Folk Songs”—इस पुस्तक में बंजारा जनजाति की लोकगीत परंपराओं का सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। बंजारा समुदाय की मौखिक साहित्य परंपरा, जीवन-चक्र से जुड़े गीत, सांस्कृतिक रीतियाँ और पारंपरिक पहचान की झलक इसमें उभर कर सामने आती है।


विषय-वस्तु और मुख्य विशेषताएँ

1. लोकगीतों की सांस्कृतिक भूमिका

बंजारा लोकगीत सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि उनके जीवन, संस्कार, संघर्ष और उत्सव का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये गीत जन्म, विवाह, त्यौहार और कृषि जैसे जीवन के हर पड़ाव को स्वरबद्ध करते हैं।

2. मौखिक साहित्य की संरचना

बंजारा परंपरा लिखित भाषा का नहीं—बल्कि शोधात्मक रूप से संरक्षित मौखिक अभिव्यक्तियों पर आधारित है। लोकगीत, कहानियां, लोकोक्ति, पहेलियाँ आदि जन-धाराओं में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संरक्षित होते हैं।

3. रिप्रेजेंटेशन से लेकर संरक्षण तक

सुश्री Maria Leech ने इस लोकगीत को इस रूप में परिभाषित किया है—“oral and unwritten musical expression of a community” जबकि Encyclopedia Britannica इसे “ancient spontaneous music” कहता है।
दुर्भाग्यवश आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव के चलते इन गीतों की पारंपरिक संरचना धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है; वहीं स्थानीय समुदाय प्रयासरत हैं कि ये गीत संरक्षित रहें।


समीक्षा (Review)

शक्तियाँ

  • सांस्कृतिक गहराई: यह पुस्तक बंजारा जीवन और लोकगीतों के पारंपरिक, सामाजिक और धार्मिक पक्षों को गहराई से समझने का अवसर देती है।
  • जीवंत लोक परंपरा: मौखिक देशज संस्कृति का जीवंत दस्तावेज़ प्रस्तुत करना इसकी प्रमुख विशेषता है।

कमियां

  • लिखित स्रोतों की कमी: अधिकांश जानकारी मौखिक परंपरा पर आधारित है, जिससे सटीक संदर्भ प्रदान करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • विशेषज्ञता की आवश्यकता: सामाजिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह पुस्तक सजग है, लेकिन सामान्य पाठकों को इसे समझने में समय लग सकता है।

सारांश और मूल्यांकन

“Cultural Study of Banjara Folk Songs” बंजारा समुदाय के लोकगीतों का समृद्ध सांस्कृतिक दस्तावेज़ है जो उनके मौखिक साहित्य, संस्कृति और जीवनशैली को विषद रूप से उजागर करता है। यह पुस्तक सामाजिक विज्ञान, लोक संस्कृति, भाषा एवं लोकसाहित्य के छात्र और शोधकर्ता दोनों के लिए उपयोगी साधन हो सकती है। इन गीतों का संरक्षण और प्रसार ही इस सांस्कृतिक विरासत की वास्तविक रक्षा है।